विगत 26 वर्षों से किया जा रहा है आयोजन
सरजू सत्संग समिति द्वारा मानस कथा का आयोजन विगत 26 वर्षों से किया जा रहा है इस वर्ष विधिवत पूजन अनुष्ठान के साथ इनकी उसके रामकथा का शुभारंभ मुख्य यजमान श्री सुधाकर मणि त्रिपाठी जी द्वारा किया गया कथावाचक पंडित विनय मिश्र ने श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष पर चर्चा करते हुए कहा कि जब गजेंद्र का पांव ग्राहक ने सरोवर में पकड़ लिया और गजेंद्र को पहले अपने कुटुंब परिवार पर भरोसा था लेकिन गृह ने जो उसे गहरे जल में डूबने लगा तब दीन हीन अवस्था में गजेंद्र ने भगवान को आवाज लगाई जैसे ही गजेंद्र ने भगवान को आवाज लगाई भगवान शिव सागर में सेंड कर रहे थे और लक्ष्मी जी चरण द्वार ही थे गजेंद्र की आरती भाव की आवाज सुनकर भगवान गजेंद्र की रक्षा के लिए तुरंत दौड़ पड़े उस समय लक्ष्मी जी ने प्रभु से पूछा प्रभु इतनी शीघ्रता से आप कहां जा रहे हैं जिस पर भगवान मानव लक्ष्मी को बताना चाहते थे कि मैं हाथी की रक्षा के लिए जा रहा हूं लक्ष्मी ने भगवान के मुख से केवल हां सुनी थी भगवान के मुख से 30 शब्द वहां निकला जहां हाथी था इतनी शीघ्रता से आने के बाद भी भगवान ने अपने पीतांबर से गजेंद्र को ग्राहक को मारकर गजेंद्र को बचाकर गजेंद्र के पांव को अपने पीतांबर से पूछते हुए आंखों में आंसू लेकर कहा गजेंद्र मुझे क्षमा करना मेरे आने में विलंब हो गया है जबकि जब अलग अर्ध नाम जब तक आयो दूसरा अक्षर तब तक भगवान गजेंद्र की रक्षा के लिए आ चुके थे भगवान दीनदयाल में भगवान की दीनता का पता दयालुता क्या पता इसी से लग जाता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए कितने दीनदयाल हैं कथा में श्री गणेश मिश्र श्री कृष्ण मुरारी तिवारी श्री उमेश जी कथा वाचक श्री अनमोल जी अंगद प्रसाद द्विवेदी और अन्यथा बंधु काफी संख्या में उपस्थित रहे यह कथा 3 दिनों तक चलेगी