गोरखपुर : कृषि के साथ किसानों की जीविका पशुपालन से चलती रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पशु, कृषि, खाद, खाद्यान्न एवं ऊर्जा के अच्छे स्रोत रहे हैं। जनसंख्या की वृद्धि से उ.प्र. देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के साथ ही यहाँ विकास की अपार सम्भावनायें है। पशुपालन प्रदेश में गरीब, ग्रामीण, जीवन की आजीविका के प्रमुख आधार रहे हैं। गाय, भैस, बकरी, भेड़, सुअर, मुर्गी आदि पशुधन कृषि के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदेश सरकार पशुधन विकास के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों उन्नत प्रजनन, पशु रोग नियंत्रण, उन्नत पशुपोषण, आधुनिक पशुधन प्रबन्धन आदि के माध्यम से दुग्ध व पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि कर रही है। सरकार के कार्यक्रमों से गरीब पशुपालकों, निर्बल वर्ग के व्यक्तियों, भूमिहीन श्रमिकों की आजीविका तथा उनका आर्थिक उन्नयन हो रहा है, साथ ही उनका कुपोषण भी दूर हो रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन हेतु किये गये विभिन्न कार्यो का ही परिणाम है कि उ.प्र. देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है।
प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पशुधन विशेषकर गोवंश के संरक्षण पर विशेष बल दिया है। निराश्रित/बेसहारा गोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश में कई वृहद गोसंरक्षण केन्द्र बनाये गये हैं। पशुधन के सर्वांगीण विकास हेतु पशुपालकों, कृषकों के हित में संचालित लाभकारी योजनाओं में गति प्रदान करने के लिए नये-प्रयोगों के साथ प्रदेश में नई योजनाओं के माध्यम से कार्यक्रम लागू किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की नीति है कि किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुना किया जाय।
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