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उपचुनाव अपडेट : शासकीय सेवक निर्देशों का अनुपालन एवं आचरण व व्यवहार में पूर्ण निष्पक्षता बरतें......जिला निर्वाचन अधिकारी श्री नीरज कुमार सिंह


राजगढ़ : जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि विधानसभा उप निर्वाचन 2020 को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सम्पन्न कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विहित आदर्ष आचरण संहिता के तहत शासकीय कर्मचारियों के लिए दिए गए निर्देषानुसार शासकीय सेवकों का यह दायित्व है कि वे इन निर्देषों का अनुपालन सुनिष्चित करे एवं आचरण व व्यवहार में पूर्ण निष्पक्षता बरतें। उन्होने कहा है कि शासकीय कर्मचारियों को चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिए ष्यह आवष्यक है कि वे किसी को यह महसूस न होने दे कि वे निष्पक्ष नही है जनता को उनकी निष्पक्षता का विष्वास होना चाहिए तथा उन्हे ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए जिससे ऐसी शंका भी हो सके कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे है। संक्षेप में शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार चुनाव प्रचार या अभियान में भाग नही लेना चाहिए तथा उन्हे यह देखना चाहिए कि उनकी सरकार में हैसियत या अधिकारी का लाभ कोई दल या उम्मीदवार ना ले सके। निर्वाचन में किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करना मध्यप्रदेष सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के वितरीत है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 एवं 134-क की और विषेष रूप से से आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है जिनके अनुसार निर्वाचनों से संबंधित अधिकारी/कर्मचारी न तो किसी अभ्यार्थी के लिए कार्य करेगा और न मत दिए जाने में कोई असर डालेगे इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नही कर सकता है संबंधित धाराओं के उदाहरण परिषिष्ट में दिए गए है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 28-क के अधीन नियमों के संचालन के लिए सुनियोजित समस्त अधिकारी/कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाहित पुलिस अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जाएगे और उस समय तक निर्वाचन आयोग के नियंत्रण अधीक्षण और अनुषासन के अधीन रहेगे। निर्वाचनों के सषक्त पदीय कर्तव्य को यथोचित तरीके से जिम्मेदारी पूर्वक करना विधि द्वारा अपेक्षित कर्तव्य है, जिसकी अवहेलना शासकीय सेवक को दण्ड का पात्र बनाती है। इस विषय में आपका ध्यान विषेष रूप से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 134 की और आकर्षित किया जाता है जिसका उदाहरण परिषिष्ट में दिया गया है। यदि किसी प्रकार की शंका हो या कठिनाई आए तो कर्मचारियों को अपने वरिष्ठ अधिकारी की सलाह लेनी चाहिए।


 


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