देवरिया : जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया है कि धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियां जिनमें इस समय बालियां निकल रही है, फफूंदजनित आभाषी कण्ड रोग(फाल्स स्मट) से प्रभावित हो सकती है। सापेक्षित आद्रता 90 प्रतिशत तथा तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस की स्थिति जो अचानक वर्षा होने से उत्पन्न होती है, खेत में अधिक नाइट्रोजन मात्रा इत्यादि में यह रोग तेजी से फैलता है। यह रोग धान के पैनिकल अवस्था में परिलक्षित होता है तथा इसमें बालियांे के कुछ दाने प्रभावित नजर आते है जो पीले नारंगी या हल्दी के रंग की पावडर जैसे बिजाणुओं(फ्रूटिंग बाडिज) से भर जाते है जो आवरण में ढके होते है। बाद में आवरण फट जाता है तथा पीले नारंगी बीजाणु बाहर आ जाते है, जो प्रतिकूल दशा में वायु द्वारा फैलकर स्वस्थ पौधो को प्रभावित करते है। नम मौसम में रोग तेजी फैलकर पूरी फसल चपेट में ले लेता है। इस रोग के देखते ही तत्काल प्रोपीकॉनाजोल 25 ई0सी0 की 500 मि0ली0 मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अन्तराल पर दो से तीन छिड़काव करें या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड की 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। टेबूकोनाजोल 18.3 प्रति0+ एजांक्सीस्ट्रांबिन 11% s.c. का प्रयोग ही बेहतर परिणाम देता है। इससे इस रोग की रोकथाम की जा सकती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि गंधी बग धान को अत्याधिक नुकसान पहुंचाने वाला कीट है, जो लगभग 19 मि0मी0 लंबा, पतले शरीर, लंबी टांगों व सर पर एंटीना वाला कीट है, इसके शरीर में तेज दुर्गन्ध आती है। इसका निम्फ तथा प्रौढ़ दोनों धान की फसल के कोमल भागो तना, पती, बालियों से अपने चूषकांगो से रस चूस लेते है, जिससे आस-पास सफेद धब्बे बन जाते हैं दुग्धावस्था में बालियों में (बालियों में दाना बनते-भरते समय) गंधी के प्रकोप- रस चूस लेने से बालियां सफेद रह जाती है तथा दाने नहीं बन पाते। अधिक प्रकोप में पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। गंधी नियंत्रण हेतु मेड़ों कीे खरपतवार (विशेष का मोथा घास) साफ कर दें, जिनमें छिपकर गंधी मादा, कीट पहले ही अंडा देती है, जिससे आगे चलकर निम्फ धान की वेजिटेटिव व रिप्रोडक्टिव अवस्था तथा मिल्की अवस्था में रस चूसकर फसल को क्षति पहुंचाते हैं। यदि विस्तृत क्षेत्र में धान की फसल एक ही समय पर बोयी गई है तो रसायनो का प्रयोग लाभकारी नहीं होता क्योंकि गंधी के प्राकृतिक परभक्षी कीट पहले मर जाते हैं, विस्तृत क्षेत्र में एक साथ बोयी गई धान की फसल एक साथ रिप्रोडाक्टिव फेज(पुष्पावस्था) में आती है, तो गंधी का प्रकोप अधिक नुकसान नहीं करता क्योंकि कीटो का फैलाव हो जाता है। यदि गंधी का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से अधिक हो गया है तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रति0 की 1 एम0 एल0 प्रति लीटर पानी में या मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल की 20 कि0ग्रा0 मात्रा प्रति हेक्टेयर में बुरकाव या मेलाथियान 50 प्रति0ई0सी0 की 1 लीटर+500 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें। रसायन स्प्रे के दो दिन पूर्व नीम आयल(2.5 लीटर/हेक्टेयर) का प्रयोग अत्यन्त लाभकारी होता है।
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