पटना (बिहार) : विधानसभा चुनाव में ये लाल इलाका जहाँ दो धुरंधर चेहरों के बीच कांटे की टक्कर की सम्भावना है। क्या बदलेगा समीकरण? इसके कयास लगाए जाने लगे है।जैसे जैसे समय बीत रहा है गया जिले और औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र का लाल इलाके का इमामगंज विधानसभा क्षेत्र गया जिले का हित सीट बना हुआ है कारण यहाँ से अभी पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी प्रतिनिधित्व कर रहे है। आगामी विधानसभा चुनाव की बात करें तो इमामगंज विधानसभा से पूर्व विस अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी इस बार राजद के टिकट से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक रामस्वरूप पासवान भी राजद से टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। वर्तमान विधायक जीतनराम मांझी भी क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं।इमामगंज सीट पर पूरे बिहार की नजर बनी रहती है और इस बार भी इमामगंज सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है।
1967 से सुरक्षित है इमामगंज विधानसभा सीट
गया जिले में नक्सलियों के लाल इलाका के रूप में चर्चित इमामगंज विधानसभा सीट 1957 में गठित की गयी थी और यहां के रानीगंज के जमींदार अंबिका प्रसाद सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस की महिला नेत्री चंंद्रावती देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था।दूसरी चुनाव में भी अंबिका प्रसाद सिंह ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के जगलाल महतों को हराया था। 1967 में यह सीट अऩुसुचित जाति के लिए आरक्षित की गई थी।इसके बाद से यहां से लगातार अनुसुचित जाति से जुड़े नेता इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं।
आज भी आधारभूत सुविधाओं से बंचित है इमामगंज विधानसभा का कई गाँव
बिहार झारखंड एक साथ रहने की स्थिति में यह चतरा लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता था जबकि झारखंड के अलग राज्य बन जाने के बाद यह विधानसभा क्षेत्र अभी औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र में चला गया है। इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के कई ऐसे भी गांव हैं जहां अभी भी आधारभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। पहाड़ी और जंगली इलाका होने की वजह से यह दशकों तक नक्सलियों की शरणस्थली बनी रही और यहां के लोग सैकड़ों नक्सली घटना का गवाह दर्ज हैं। नक्सली संगठन और पुलिस के बीच होने वाली मुठभेड़ की वजह से स्थानीय लोगों को कई तरह का नुकशान झेलना पड़ा है, और अभी पड़ता है, पर अर्धसैनिक बलों के अभियान के शुरू होने के बाद इलाके में नक्सलियों का प्रभाव कमजोर हुआ है। लेकिन अभी भी उस कई इलाकों में नक्सली गतिविधि सक्रिय हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह क्षेत्रीय विधायक जीनतराम मांझी अभी कर रहे हैं प्रतिनिधित्व
अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इमामगंज विधानसभा में लगभग 70 हजार वोटर हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में पहला नम्बर महादलितों का खास कर भुईया (मांझी) जाति की आबादी है। दुसरे नम्बर पर कोयरी का वोट है। इस क्षेत्र में 144 ऐसे गांव व टोले है, जहां कोयरी जाति के लोगों लग रहते है। यहां स्थानीय राजनैतिक में कोयरी जाति का अहम भूमिका होती है। यहां यादव और मुसलमानों का आबादी है। दोनों की आबादी के मामले में तीसरे नम्बर पर हैं। दोनों की आबादी में समानता है। वहीं बात करें तो वैस समाज और पचपुनियां समाज में भी समानता है। उच्च जाति के सतदाताओं में राजपूतों का वर्चस्व है। गठन होने के बाद 1957 और 1962 में लगातार अंबिका प्रसाद सिंह ने इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। उसके बाद 1967 में काग्रेस के डी.राम,1967 में जनता पार्टी से ईश्वरदास,1972 में काग्रेस के अवधेश राम,1977 में जनता पार्टी से ईश्वर दास,1980 और 1985 में कांग्रेस के श्रीचंद सिंह,1990 में जनता दल के उदयनारायण चौधरी,1995 में समता पार्टी के रामस्वरूप पासवान ,2005 और 2010 में जदयू से उदयनारायण चौधरी और 2015 में हम पार्टी के जीतनराम मांझी ने इस सीट पर जीत हासिल कर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।
पूर्व सीएम और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के बीच मुकाबला होने की संभावना
2015 के विधानसभा चुनाव से इस बार के चुनाव का राजनीतिक समीकरण बदला। पूर्व विस अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी 1990 के बाद 2000, 2005 के फरवरी और 2005 के नवंबर के साथ ही 2010 में लगातार चार चुनाव में जीत दर्ज की थी और 2015 में उनके खिलाफ क्षेत्र में एंटी इनकमबेंसी फैक्टर काम कर रहा था। इस वजह से हम पार्टी के जीतनराम मांझी ने एनडीए गठबंधन से हम पार्टी के चुनाव चिन्ह पर करीब 30 हजार वोट से जदयू के उदयनारायण चौधरी को हराया था, वहीं उसी चुनाव में जीतनराम मांझी अपनी मकदूमपुर की सीट राजद के एक साधारण कार्यकर्ता सूबेदार दास से हार गये. 2015 के चुनाव में जीतनराम मांझी को इमामगंज सीट से 79389 और उदयनरायण चौधरी को 49981 वोटर मिला था। पूर्व विस अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी इस बार राजद के टिकट से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक रामस्वरूप पासवान भी राजद के टिकट से चुनाव मैदान में उतरने बात कर रहे है। इसके लेकर उदयनारायण चौधरी और रामस्वरूप पासवान इमामगंज क्षेत्र का लगातार दौरा कर जनसपंर्क अभियान चल रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सह वर्तमान विधायक जीतनराम मांझी ने शुरू में अपनी 77 साल की उम्र का हवाल देकर चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। पर चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन को छोड़कर जदयू के रास्ते एनडीए में आ जाने के बाद तस्वीर बदलती हुई दिखा रही है। सूत्रों की मानें तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने खुद ही जीतनराम मांझी को उदयनारायण चौधरी के खिलाफ इमामगंज से चुनाव लड़ने की सलाह दी है, जिसके बाद वे क्षेत्र मे ज्यादा सक्रिय हो गए है। अब देखने वाली बात होगी कि उदयनारायण चौधरी और रामस्वरूप पासवान के बीच 2020 विधानसभा चुनाव में टकराव रहेगा। या फिर उदयनारायण चौधरी और जीतनराम मांझी के एक बार फिर से मैदान में आने से यह इमामगंज सुरक्षित विधानसभा सीट पर पूरे बिहार की नजर बनी रहेगी।
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