गोरखपुर : अयोध्या में विवादित ढांचा दाने के मामले को लेकर कोर्ट ने जो निर्णय दिया है यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह सिर्फ राम भक्तों की ही नहीं बल्कि भारत में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं के जनमानस के विचारों की जीत है।
उक्त बातें पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री, राज्यसभा सांसद, राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ला ने जारी कहीं। उन्होंने कहा कि विवादित ढांचा को ढहाने वालों में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ रामविलास वेदांती सहित दर्जनों ऐसे नाम हैं। जिन्हें तत्कालिक शासन के इशारे पर तत्कालीन प्रशासन ने दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा दायर कराया था।
सीबीआई की विशेष अदालत ने आज जो फैसला सुनाया है उससे यह सिद्ध हो जाता है कि उक्त राम भक्तों का इस मामले से दूर-दूर तक कहीं कोई रिश्ता नहीं था । जानबूझकर राजनीतिक विद्वेष के कारण इनके नामों को इस मामले में घसीटा गया और एक लंबे समय तक इनके ऊपर आरोप लगाते जाते रहें। उन्होंने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत में अयोध्या के उस विवादित ढांचे को लेकर 1992 में मुकदमा दायर किया गया। 28 साल तक चले इस मुकदमे में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था । लेकिन सरकार की गलत नीतियां और उनके अधीनस्थ कार्य कर रहे है। न्यायालय दबाव में थे जो सही निर्णय नहीं कर पा रहे थे।
जबकि न्यायपालिका स्वतंत्र होती है। उन्होंने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के ऐतिहासिक फैसले देश के करोड़ों राम भक्तों की जीत है।
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